Department of Hindi
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हिंदी विभाग :
स्थापना वर्ष 1993
रजत वर्ष : 2018-19
   
                     पश्चिम महाराष्ट्र में कोल्हापुर का एक विशिष्ट ऐतिहासिक स्थान है।छत्रपति शिवाजी महाराजा के वैचारिक वारिस छत्रपति शाहु महाराजा ने इस जनपद का सामाजिक विकास किया है।उन्होंने अधीनस्थ राजा के रूप में अधिष्ठित होते हुए भी ‘लोकराजा’ के रूप में केवल कोल्हापुर जनपद में ही नहीं तो भारत तथा भारत के बाहर भी ख्याति प्राप्त की है।इसजनपद में 1962 ई. में विश्वविद्यालय की स्थापना की गई जिसे ‘शिवाजी’ विश्वविद्यालय नाम दिया गया। विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग की अधिकृत स्थापना 1993 ई. में हुई है परंतु 1962 ई. से मानद अध्यापकों के सहकार्य से हिंदीभाषा तथा साहित्य में अध्ययन, अध्यापन, अनुसंधान कार्य होता रहा है।1993 ई. के बाद अनेक शोध-परियोजनाएँ प्रारंभ होने के पूर्व से ही एम.ए., एम.फिल. की कक्षाएँ तथा पीएच.डी. उपाधि हेतु शोधकार्य आरंभ हुआ था।अनेक छात्र उक्त उपलब्धियाँ प्राप्त कर केवल महाराष्ट्र में ही नहीं तो महाराष्ट्र के बाहर भी सेवारत रहे हैं।वर्ष 2018-19 विभाग का रजत वर्ष रहा । सम्पूर्ण वर्ष में रजत वर्ष के उपलक्ष्य में विविध गतिविधियों का आयोजन किया गया । अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय विद्वानों के व्याख्यानों का आयोजन किया गया जिसका लाभ विभाग के छात्रों ने उठाया । 
                     विभाग में एम.ए., एम.फिल., पीएच.डी. की उपाधि हेतु अध्ययन, अध्यापन तथा अनुसंधान कार्य होता है। इसके साथ ही 1996 ई. से स्वयं आधारित तत्त्वावधान में ‘अनुवाद पदविका पाठ्यक्रम’ भी चलाया जा रहा है। 12 वीं पंचवार्षिक योजनांतर्गत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा हिन्दी विभाग के सक्षमीकरण तथा आधुनिकीकरण हेतु रु.54 लाख मंजूर हुए । इसके अंतर्गत विभाग में कौशल्य आधारित एम.ए. भाषा प्रौद्योगिकी तथा ‘संगणक तथा भारतीय भाषा सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग’ शीर्षक के नवीन पाठ्यक्रम प्रारंभ किए हैं । भाषा तथा अभिकलनात्मक भाषाविज्ञान,प्राकृतिक भाषा संसाधन (Languages,Computational Linguistics,Natural language Processing) संगणकज्ञानादिपर बल देकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा निधि मंजूर हुआ ।इसके साथ विभिन्न विषयों – प्रसंगों पर आधारित संगोष्ठियाँ, अधिवेशन, विस्तार-व्याख्यान, सेट-नेट पाठ्यक्रम से संबंधित कार्यशालाएँ, विभागीय प्रकाशन आदि अकादमिक गतिविधियाँ गतिशील रही हैं। अनेक छात्रों ने पीएच.डी. तथा एम.फिल. उपाधि हेतु शोधकार्य संपन्न किया है। विभागीय सदस्यों ने पांच बृहत तथा तीन लघु शोध परियोजनाएँ भी संपन्न की हैं।विभाग में हिंदीसाहित्य, अनुवाद,‘भाषाप्रौद्योगिकी’, तुलनात्मक साहित्य, प्रयोजनमूलक हिंदीके क्षेत्र में शोधकार्य रहा है।साथ ही विभाग में सांप्रत कार्यरत तथा पूर्व कालावधि में कार्यरत सभी सदस्यों की समीक्षात्मक, शोधपरक, सृजनात्मक, अनूदित कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।इसके पूर्व विभाग में महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, दक्षिण भारत हिंदीपरिषद एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तत्त्वावधान में अनेक राष्ट्रीय तथा एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हुई है।
आज तक निम्नलिखित प्राध्यापक अध्यक्ष के रूप में कार्य सँभाल चुके हैं । 
नाम पद कार्यकाल 
डॉ.वसंत मोरे
      एम.ए.,पीएच.डी. प्रपाठक 6 जुलाई,1993 – 31 दिसंबर,1993
 
डॉ.अर्जुन चव्हाण
      एम.ए.,बी.एड.,पीएच.डी. अधिव्याख्याता 1 जनवरी,1994 - 31 मई,1994
       (प्रभारी कार्यकाल)
डॉ.पांडुरंग पाटील  
एम.ए.,पीएच.डी. प्रपाठक 1 जून,1994 - 31 मई,2000
डॉ.अर्जुन चव्हाण 
एम.ए.,बी.एड.,पीएच.डी. प्रपाठक 1 जून,2000 - 31 मई,2003
डॉ.पांडुरंग पाटील
एम.ए.,पीएच.डी. प्राध्यापक 1 जून,2003 - 31 मई, 2005 
डॉ.अर्जुन चव्हाण 
एम.ए.,बी.एड.,पीएच.डी. प्रपाठक 1 जून,2005 - 5 जून, 2008
डॉ.पद्मा पाटील
एम.ए.,एम.फिल.,पीएच.डी. प्राध्यापक 6 जून, 2008-  
विभाग में कार्यरत संकाय को अनेक पुरस्कार तथा सम्मान प्राप्त हुए हैं ।  
• प्रा. डॉ. पद्मा पाटील
          ‘ताज मुघलिनी’ पुरस्कार, अखिल भारतीय कवयित्री परिषद, उत्तर प्रदेश 2003 (कादम्बिनी : हिंदी कविता संग्रह) 
          हिंदीतर भाषी हिंदी लेखिका पुरस्कार : केंद्रीय हिंदी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय,भारत सरकार: नई दिल्ली. 2005 (मुक्तिबोध की कविता : कला, शिल्प और सौंदर्य) रु.1,00,000/-
          त्रिनिदाद हिंदी अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मान, त्रिनिदाद एण्ड टोबागो,वेस्ट इंडीज 2011 $ 1000
 
• प्रा. डॉ. अर्जुन चव्हाण
          पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार,महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई 1998 (अनुवाद चिंतन) रु.15,000/-
          हिंदीतर भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार : केंद्रीय हिंदी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार: नई दिल्ली. 2003(अनुवाद: समस्याएँ एवं समाधान)रु.50,000/-
• प्रा. डॉ. पांडुरंग पाटील
          मामा वरेरकर ‘अनुवाद’ पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई 2012 (अग्निदिव्य) रु. 25,000/-
• डॉ. वसंत मोरे
           महाराष्ट्र राज्य ‘आदर्श शिक्षक’ पुरस्कार, महाराष्ट्र शासन, मुंबई 1993
           पं. महावीरप्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई 1994 (हिंदी और उसका व्यवहार) : रु. 15,000/-
           गजानन माधव मुक्तिबोध मराठी भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई 2006 रु. 51,000/-
जून, 2008 से सत्र परीक्षा तथा क्रेडिट योजनांतर्गत एम.ए. के नवीन पाठ्यक्रम का निर्धारण हुआ है। 2011 से एम. ए. में ‘भाषा प्रौद्योगिकी’ पाठ्यक्रम प्रारंभ किया है। वर्तमान में सॉफ्टवेयर्स साधित संगणक प्रयोगशाला भी विकसित की गई है। वैश्वीकरण तथा सूचना प्रौद्योगिकी के जमाने में शिवाजी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के छात्र जीवन में व्यावसायिक स्तर पर अपनी जगह बना सकें, इस हेतु विभाग द्वारा हर तरह की योजनाएँ बनाई जा रही हैं । लघु अवधि के विविध पाठ्यक्रमों का आयोजन हिन्दी विभाग में किया गया है । संप्रति हिंदीविभाग की अध्यक्ष के रूप में प्रो. (डॉ.) अर्जुन चव्हाण कार्यरत हैं।
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