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हिंदी विभाग
स्थापना वर्ष 1993
रजत वर्ष : 2018-19
कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में शिवाजी विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 1962 में हुई। इसके पश्चात् हिंदी स्नातकोत्तर कक्षाओं का अध्ययन-अध्यापन मेन राजाराम कॉलेज (बिंदु चौराहे के नजदीक) में शुरू हुआ। यहाँ पर विविध महाविद्यालयों के अध्यापकों को मानद अध्यापकों के रूप में आमंत्रित किया जाता था। विश्वविद्यालयीन स्थापना के 31 वर्ष के पश्चात जून 1993 में हिंदी विभाग की विधिवत् स्थापना हुई। मानविकी इमारत में कक्षाओं का प्रावधान किया गया। प्रपाठक डॉ. वसंत मोरे जी विभागाध्यक्ष और डॉ. अर्जुन चव्हाण जी अधिव्याख्याता के रूप में दाखिल हुए। एम.ए., एम.फिल., का अध्यापन शुरू हुआ। पीएच.डी. उपाधि हेतु शोधकार्य शुरू हुआ। डॉ. मोरे जी के अवकाश ग्रहण के पश्चात जून 1994 को विभागाध्यक्ष का दायित्व डॉ. पांडुरंग पाटील जी ने संभाला।
सन् 2002 में वि. स. खांडेकर भाषा भवन नाम से स्वतंत्र इमारत में हिंदी विभाग शुरू हुआ। सन् 1996 से स्वयं वित्त पोषित (Self Funded) ‘हिंदी अनुवाद पदविका पाठ्यक्रम’ शुरू किया। पारंपारिक विषयों के साथ तकनीकी से जुडने हेतु सन 2012 से एम.ए. हिंदी पाठ्यक्रम में ‘भाषा प्रौद्योगिकी’ प्रश्नपत्र का विकल्प दिया गया। सी-डैक पुणे की सहयोग से विविध कार्यशालाओं के अंतर्गत छात्रों को विभागीय संगणक प्रयोगशाला में वैश्विक विविध वेबसाइट्स के स्थानीयकरण का प्रायोगिक ज्ञान दिया गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा हिंदी विभाग के सक्षमीकरण तथा आधुनिकीकरण हेतु सन् 2016 में 12 वीं पंचवार्षिक योजनांतर्गत 54 लाख रुपये मंजूर हुए। इसके अंतर्गत कौशल्य आधारित एम.ए. ‘भाषा प्रौद्योगिकी’ और ‘संगणक तथा भारतीय भाषा सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग’ पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। भाषा तथा अभिकलनात्मक भाषाविज्ञान, प्राकृतिक भाषा संसाधन (Languages, Computational Linguistics, Natural language Processing) संगणकज्ञानादि पर बल देकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सॉफ्टवेयर्स साधित संगणक प्रयोगशाला भी विकसित की गई है। फिलहाल लघु अवधि के विविध पाठ्यक्रमों का आयोजन हिंदी विभाग में किया जा रहा है। जून, 2008 से सत्र परीक्षा शुरू हुई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के अंतर्गत क्रेडिट पर आधारित एम.ए. हिंदी, एम.ए. भाषा प्रौद्योगिकी तथा हिंदी अनुवाद पदविका पाठ्यक्रमों को चलाया जा रहा है।
हिंदी विभाग का रजत वर्ष 2018-19 में मनाया गया। इस उपलक्ष्य में संपूर्ण वर्ष राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विद्वानों के व्याख्यान तथा अन्य गतिविधियों का आयोजन किया गया। ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. इमरै बग्घा, नेदरलैंड के प्रोफेसर गौतम मोहन, प्रोफेसर अलेक्सेंड्रा कोन्सोलारो (इटली) आदि देश-विदेश के महान विभुतियों को आमंत्रित किया गया।
हिंदी विभाग में हिंदी साहित्य, तुलनात्मक साहित्य, प्रयोजनमूलक हिंदी, भाषा प्रौद्योगिकी, अनुवाद आदि क्षेत्र में शोधकार्य जारी है। हिंदी विभागीय अध्यापकों ने पाँच बृहत तथा तीन लघु शोध परियोजनाएँ संपन्न कराई हैं। साथ ही मौलिक, समीक्षात्मक, शोधपरक, सृजनात्मक, अनूदित, संपादित पुस्तकें प्रकाशित की हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (भारत सरकार), महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी एवं दक्षिण भारत हिंदी परिषद के तत्त्वावधान में अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय संगोष्ठियाँ संपन्न कराई हैं। वैश्वीकरण तथा सूचना प्रौद्योगिकी के जमाने में शिवाजी विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के छात्र जीवन में व्यावसायिक स्तर पर अपनी जगह बना सकें, इस हेतु विभाग द्वारा कई योजनाओं को कार्यान्वित किया हैं। नतीजन हिंदी विभाग के कई छात्र महाराष्ट्र के साथ अन्य राज्यों में अध्यापक, अनुवादक, राजभाषा अधिकारी, हिंदी लघु लेखक आदि पदों पर कार्यरत हैं। हिंदी विभाग की यह बडी उपलब्धि है।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष
हिंदी विभागाध्यक्ष का कार्यकाल
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विभागाध्यक्ष के नाम
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06 जुलाई, 1993 से 31 दिसंबर,1993
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डॉ. वसंत केशव मोरे
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01 जनवरी,1994 से 31 मई,1994 (प्रभारी)
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डॉ. अर्जुन गणपति चव्हाण
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01 जून,1994 से 31 मई, 2000
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डॉ. पांडुरंग सटुप्पा पाटील
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01 जून, 2000 से 31 मई, 2003
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डॉ. अर्जुन गणपति चव्हाण
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01 जून, 2003 से 31 मई, 2005
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प्रो. (डॉ.) पांडुरंग सटुप्पा पाटील
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01 जून, 2005 से 05 जून, 2008
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प्रो. (डॉ.) अर्जुन गणपति चव्हाण
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6 जून, 2008 से 30 अप्रैल, 2019
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प्रो. (डॉ.) पद्मा पाटील
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30 अप्रैल 2019 से 19 अगस्त, 2019 (प्रभारी)
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प्रो. (डॉ.) शालिनी रामदास लिहीतकर
(ग्रंथालय एवं सूचनाशास्त्र विभाग)
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19 अगस्त, 2019 से 07 अक्टूबर 2020 (प्रभारी)
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प्रो. (डॉ.) प्रतिभा सुभाषचंद्र पाटणकर (शिक्षणशास्त्र विभाग)
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07 अक्टूबर, 2020 से 30 अप्रैल, 2021
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प्रो. (डॉ.) अर्जुन गणपति चव्हाण
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30 अप्रैल, 2021 से 29 जून, 2024 (प्रभारी)
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प्रो. (डॉ.) औदुंबर सरवदे (अंग्रेजी विभाग)
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29 जून 2024 से अब तक (प्रभारी)
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प्रो. (डॉ.) तृप्ती करेकट्टी (अंग्रेजी विभाग)
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हिंदी विभाग के अध्यापक-
डॉ. वसंत केशव मोरे (एम.ए., पीएच.डी.)
• महाराष्ट्र राज्य ‘आदर्श शिक्षक’ पुरस्कार - 1993
(महाराष्ट्र शासन, मुंबई)
• पं. महावीरप्रसाद द्विवेदी पुरस्कार- 1994
(महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई, हिंदी और उसका व्यवहार)
• गजानन माधव मुक्तिबोध मराठी भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार - 2006
(महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई)
• रोड़ मराठा रत्न पुरस्कार - 2025
(अखिल भारतीय मराठा जागृति मंच प्रतिष्ठान, पानिपत)
प्रो. (डॉ.) पांडुरंग सटुप्पा पाटील (एम.ए., पीएच.डी.)
• मामा वरेरकर ‘अनुवाद’ पुरस्कार
(महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई 2012, अग्निदिव्य)
• सारस्वत सम्मान – 2025
(महाराष्ट्र हिंदी परिषद)
डॉ. पद्मा पाटील (एम.ए., एम.फिल., पीएच.डी.)
• ‘ताज मुघलिनी’ पुरस्कार- 2003
(अखिल भारतीय कवयित्री परिषद, उत्तर प्रदेश, कादम्बिनी : हिंदी कविता संग्रह)
• हिंदीतर भाषी हिंदी लेखिका पुरस्कार - 2005
(केंद्रीय हिंदी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय,भारत सरकार: नई दिल्ली., मुक्तिबोध की कविता : कला, शिल्प और सौंदर्य)
• त्रिनिदाद हिंदी अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मान- 2011
(त्रिनिदाद एण्ड टोबागो, वेस्ट इंडीज)
प्रो. (डॉ.) अर्जुन गणपति चव्हाण (एम.ए., बी.एड., पीएच.डी.)
• पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार - 1998
(महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई, अनुवाद चिंतन)
• हिंदीतर भाषी हिंदी लेखक पुरस्कार - 2003
(केंद्रीय हिंदी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार: नई दिल्ली, अनुवाद: समस्याएँ एवं समाधान)
• कवि कालिदास सम्मान - 2024
(विश्व हिंदी शोध-संवर्धन अकादमी, बनारस, उत्तरप्रदेश)
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